Short story – लालटेन

लालटेन

मूल कथा

प्रेमराज के के (मलयालम)

हिन्दी अनुवाद

सुशीला रघुराम

ग्लेडियोलस पौधा लगाते 8 साल हुए । 8 साल पहले सोमण्णा ने इसका डंडल दिया था। बेटी हरिणी का जन्म हुआ था। बेटी हुई समाचार सुनते ही सोमण्णा अस्पताल पहुंचा था।

कहीं दूर सफर के बाद आए सोमण्णा के हाथ एक थैली थी। थैली में बहुत सारी चीज भर कर रखी थी। दरवाजे पर पहुंचते ही चौकीदार ने उन्हें थैली खोलने के लिए कहा। थैली अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी। थैली से मिट्टी अंदर   गिरने की संभावना बोलकर उन्हें मना किया था।  सोमण्णा ने कहा

यह जड़ी बूटियां है जो अस्पताल में भर्ती है उनके लिए तेल बनाएंगे।

चौकीदार ने कहा कि यह अंदर नहीं ले जा सकते पर सोमण्णा ने भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा इसमें तरह-तरह की जड़ी बूटियां है जो साथ में बैठे हैं उसको समझाना है।

हरिणी से मिलकर वापस जाते वक्त उन्होंने कई रुपए उसके मृदुल हाथों में रख दिया। उस वक्त उन्हें याद आए कि थैली वापस ले जाते वक्त चौकीदार से क्या कहेंगे। हरिणी के पिता पालिन के हाथों में पौधे के डंडल दे दी। इसमें बहुत सुंदर फूल खिलते हैं और अगस्त महीने में जिनका जन्म हुआ, यह उनकी पौधा है। पालीन सोमण्णा को याद दिलाए यह अगस्त का ही महीना है। सोमण्णा ने हरिणी को आश्चर्य से देखा। उन्होंने अपने पॉकेट से चांदी का एक सिक्का लिया। देखा कि उसमें गणेश जी का चित्र है फिर उसे हरिणी के सिरहाने पर रखा। जाने से पहले गणेश चतुर्थी के दिन घर आने की निमंत्रण भी दी।

हावेरी के हेगिरी झील के पश्चिमी भाग में फूलों के खेत है। विभिन्न रंगों के फूलों से भरी खेत। विभिन्न रंगों के चादर ओढ़े भूमि। सुंदर और शालीन भूमि। फूलों की रेशम साडी में वह ऐसे दिखे कि उसको चूम ले।

 इस मिट्टी में पालिन के फूलों का खेत है। वहां सब उनके जात के लोग हैं। हैदर अली ने तिगल समाज को लेकर बेंगलुरु के लाल बाग का निर्माण किया ऐसे कई लोगों का कहना है।

लेकिन ऐसा भी मानना है कि १६वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य के दीवान नाडप्रभु केंपेगौड़ा के निर्देशानुसार ही तिगल समाज ने फूलों के व्यापार की शुरुआत की। पालिन भी इसी बात पर भरोसा करता है। वही सत्य है। पालिन  के अनुसार अभी भी उनके जान पहचान वाले कई परिवार के लोगों के पास नाडप्रभु के द्वारा दिए गए कई वस्तुएं  मौजूद हैं जो इस निर्देश का सबूत है ।

उनके निर्देशानुसार ही पालिन के समाज के लोग कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु और आंध्र में भी फूलों की खेती शुरू की।

पालिन के अधिकांश संपत्ति उनके ही मेहनत का फल है। कावेरी के वन्निय समाज में फूलों के खेती करने वालों में वह समर्थ है।

उनकी पत्नी नलिनी भी कावेरी के यत्तिनहली के किसान परिवार से हैं। वह भी फूलों की खुशबू में पली-बढ़ी है। इसीलिए बचपन में फूल ही उनके खिलौने थे। उनके पिता ने भी गुलाब, चंपा, कनेर, रंगिणी आदि की खेती किया करता था।

 अस्पताल के छोड़ने पर लड़की और पालिन हरिणी को लेकर घर पहुंचे। बहन से मिलकर उनका बड़ा बेटा गगन बहुत खुश हुआ। पालिन सोमण्णा के दिए हुए चांदी का सिक्का उसके हाथ में दिया। गगन सिक्के को घुमा फिरा कर देखा फिर पूछा अस्पताल में बच्चे जन्म होने से चांदी के सिक्के भी देते हैं?

और क्या?

अच्छा ! मेरे जन्म के  वक्त जो  सिक्का मिला वह कहां है?

वह…. पालिन उस प्रश्न के उत्तर देने में असमर्थ हुआ। केवल पांच साल के बच्चे के मुंह से ऐसा प्रश्न? वह उसे समझाने में  असमर्थ हुआ।

घर के अंदर जाते हुए नलिनी ने कहा कि जब लड़की जन्म लेती है तभी सिक्के देते हैं।

गगन बहुत खुश हुआ। वह सिक्के को हरिणी के कोमल हाथों में पकड़ाने की कोशिश की,  हर समय वह फिसल कर नीचे गिर गया।

पालिन पौधे के जड़ों को लेकर बाहर आया। आंगन की एक कोने में उसे रखकर जोर से पुकारा अरे ! ओ….निर्मला …..निर्मला…

दूर से निर्मला ने भी आवाज दी

पालिन के परिवार से मिलजुल कर रहने वाली औरत है निर्मला। वह एक दूसरे का ख्याल रखने वाले पड़ोसी थे।

गगन ने भी पालिन को ढूंढ कर बाहर आया।

तुम अपने बहन के पास बैठो।

मां है ना?

मां को आराम करने दो।

थोड़ी देर वह घूम फिर कर देखा तो निर्मला भी आई। उसके हाथ खींचकर वह अंदर गया।

पालिन ने पौधे के जड़ों को खेत के एक कोने में लगा दिया।  महीनों के बाद उसमें फूल लगने लगे। तलवार जैसे डंडल और फनल जैसा फूल। दिखने में बहुत सुंदर था। रंग बिरंगे उन फूलों को देखकर गगन,नलिनी और निर्मला आनंदित हुए।

हरिणी को छाती से लगाकर नलिनी ने पूछा हमारी बेटी इतने रंगीन पुष्पों को लेकर आई?

हंसते हुए पालिन ने कुछ कहा था पर वह किसी ने नहीं सुना।

नलिनी ने अपना प्रश्न जारी रखा

आपने पहले इन पौधों को क्यों नहीं लगाया?

अरे! हमारे पास बहुत सारे पौधे हैं ना?

यह फूल इतनी सुंदर है। कितने दिन ऐसे रहोगे?

यह पौधे में रहेंगे तो बहुत दिन। तोड दिया तो तीन-चार दिन रहेंगे।

यह महंगे है क्या?

हां…तो।

एक खेत में हम यही लगाएंगे।

अरे! क्यों नलिनी ?हम तीन-चार फूलों की खेती कर रहे हैं । हम उसी में ध्यान देंगे तभी तो अच्छे फसल आएंगे।

अरे उसके साथ यह भी करने से क्या तकलीफ है?

तकलीफ कुछ नहीं है…………

तो फिर इसकी भी खेती कर लो ना… हमारी बेटी ने ही तो लेकर आई।

निर्मला ने भी नलिनी का साथ दिया। ऐसे करने से हमेशा फुल मिलेगा।

नही…साल में पांच-छ: बार।

सही है ना।

पाली ने उसे घुरकर देखा।

पालिन खेत के उस तरफ घूमने लगा। तुम घर चलो। मैं थोड़ी देर बाद में आता हूं।

वह मेड पर चलने लगा।पांव फिसल गया। यह कैसे हो गया? आधी रात को भी मैं यहां चलता हूं ।पर कभी ऐसा नहीं हुआ था।

सालों पुरानी बात है।

आनंद एक सुंदर लड़की थी। गांव के सीधी-सादी लड़की।

एक बार पालिन ने कहा कि वह तिगल समाज की होती तो मैं उससे शादी कर लेती।

उस पर सोमण्णा ने कहा कि तुम ऐसे भी सोच रहे हो? यदि तुम्हें पसंद आए तो शादी कर लो।

पर उनके समाज में कभी कोई दूसरे समाज की लड़की से शादी नहीं की।

आनंदा….

गांव के कई जवान उसके  सैंदर्य से अपने आप को भूल जाते थे।

अचानक एक दिन वह गायब हो गई।

 किसी ने भी जांच पड़ताल नहीं की। पर पालिन ने बार-बार उसे याद किया और सपने में देखा।

पालिन ने कई बार उसे जाने-अनजाने में देखा था। उसे भी यह मालूम था। फिर भी कभी उसे अपने मन की बात बोलने की हिम्मत नहीं की। क्योंकि यह तो  समाज के रीति-रिवाजों से अलग है।

अक्टूबर से मार्च तक लिल्ली के बहुत सारे फूल मिले।अब उन पौधों को काटकर निकालने का समय था।

तलवार जैसे डंडल वाले फूलों को काटने के बाद भी पौधे का हिस्सा शेष रहता है ।उसे निकालना पड़ता है ।अब नए बीज बोना है।

कटे हुए बहुत सारे पौधे सूख गए अब उसे जलाना है। राख खेत में छिड़केंगे। उसके बाद जड़ों को लगाना है।

एक दिन पालिन ने उसे जलाने का सोचा। सोमण्णा ने साथ देने का वादा किया।

 पत्तों को जलाकर वापस नहीं जा सकते थे । ध्यान रखना है वरन् अन्य खेतों में भी आग जलने की संभावना है।

सोमण्णा के साथ थोड़ा मदिरा भी पिएंगे और खेत का काम भी होगा।

संध्या के वक्त दोनों खेत में पहुंचे। बोतल लाए हुए थे। आग भी लगाया था। दोनों बैठकर पीने लगे।

इतने में उन्हें एक स्त्री को हाथ में बच्चे लेकर उनकी तरफ आते हुए दिखाई दी।

मिट्टी के दिए पकड़ी हुई थी जिसकी लौ हवा में टिमटिमा रही है।

वह आनंदा थी। पास आने पर उन्होंने देखा कि उसके हाथ में एक बच्चा भी है।

दादा मुझे माफ करना। मुझे बचा लो।जाने के लिए और कोई जगह नहीं।

दोनों चौंक गए थे।

क्या हुआ? सोमण्णा ने पूछा।

उसने मुझे धोखा दिया।

शादी करेंगे ….बोलकर …..रोशन!

कौन रोशन?

फूलों के व्यापार करने वाला।

रोशन भाई ! उसने क्या किया?

उसने शादी करने से मना कर लिया।

अब इसमें हम क्या करेंगे?

सोमण्णा के मन में पालिन के साथ उसके शादी न होने का क्रोध भी था।

मुझे अपने बच्चे के साथ रहने का कोई जगह मिलने से काफी है।

अरे…. यह सब नहीं होगा। गांव वाले क्या कहेंगे?

यहां नहीं है तो कहीं और ।

तुम तो बहुत जान पहचान वाले हैं।

दोनों की बात बहुत देर तक चली। फिर सोमनण्णा ने पूछा पालिन क्या तुम इसे अपने साथ रखोगे ?

एक पल में उसका चेहरा चमकने लगा।

 सोमण्णा ने भी उसके जवाब की  प्रतीक्षा की।

उम्मीद से उसका चेहरा चमकने लगा।

 वह पालिन के पास गई।

उसने भी जाने अनजाने हाथ आगे बढ़ाएं। वह अपने बच्चे को उसे दिया।

क्या तुम उनके ख्याल रखोगे ?

गांव वालों की बात मुझ पर छोड़ो।

अकस्मात पालिन चीखने लगा….

मुझे नहीं चाहिए…. बदनाम हुई औरत और उनके बच्चे…..

आनंदा मिट्टी के दिए लेकर मुड़ गई।

थोड़ी दूर जाकर उसने उसी दिए की तेल और आग अपने सिर पर डाल दी। उठती हुई ज्वाला में वह समेट गई।

आनंदा जलकर मिट गई…….

अब हरिणी के जन्म के बाद पालिन के खेत में लिल्ली के फूल खिलने लगी।

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